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सुल्तानपुर की अरीबा नोमान बनीं प्रेरणा की मिसाल, झांसी में मिली आईपीएस के रूप में तैनाती

अफ्तार अहमद फर्स्ट एडिटर न्यूज़ सुल्तानपुर

“शिक्षा ही जगत का शस्त्र है”—इस कथन को साकार किया है सुल्तानपुर की होनहार बेटी अरीबा नोमान ने। ट्रेनिंग के बाद आईपीएस अरीबा को झांसी जिले में तैनाती मिल गई है। सोमवार सुबह जैसे ही यह खबर पैतृक घर पहुंची, पूरे परिवार व जिले में खुशी की लहर दौड़ गई। खासतौर पर बेटियों में उत्साह देखने को मिला।अरीबा नोमान ने 10वीं तक पढ़ाई सुल्तानपुर के स्टेला मॉरिस कान्वेंट स्कूल से की और 11वीं-12वीं दिल्ली से पूरी की। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से कंप्यूटर साइंस में बीटेक किया और वर्तमान में समाजशास्त्र में एम.ए. कर रही हैं। अरीबा की सफलता के पीछे उनके पिता नोमान अहमद सिद्दीकी और मामू गुफरान अहमद उर्फ सैफी का बड़ा योगदान रहा। नोमान सिद्दीकी, जो नेशनल इंश्योरेंस में अधिकारी थे, ने कहा, “पैगंबर मुहम्मद ने बेटियों को सम्मान और शिक्षा देने की सीख दी है। अरीबा ने हमारी मेहनत और विश्वास को साकार किया है।”मामू सैफी ने बताया कि अरीबा की पढ़ाई के हर पड़ाव पर परिवार ने पूरा साथ दिया। सीमित संसाधनों के बावजूद उनकी लगन और जुनून ने हर कठिनाई को पीछे छोड़ दिया।अरीबा नोमान अब उन बेटियों के लिए प्रेरणा हैं जो बड़े सपने देखती हैं। उनकी सफलता उन सामाजिक धारणाओं को तोड़ती है जो बेटियों की उड़ान पर सवाल उठाती हैं। झांसी में तैनाती की खबर के बाद से सुल्तानपुर में खुशी का माहौल है। सोशल मीडिया पर लोग उन्हें बधाई दे रहे हैं और शिक्षण संस्थानों में उनकी चर्चा हो रही है। अरीबा नोमान न सिर्फ जिले की शान बनीं बल्कि लाखों बेटियों के लिए नई उम्मीद भी बन गईं।

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